[ द्वितीयक सेल किसे कहते हैं 2024 ] जानिए इसके प्रकार, उपयोग, दोष एवं इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी | Secondary Cell Full Info

आज हम बात करने जा रहे हैं द्वितीयक सेल किसे कहते हैं और इसमें कौन-कौन से दोष उत्पन्न होते हैं एवं उनका निवारण तो आइए जानते हैं द्वितीयक सेल के बारे में संपूर्ण जानकारी-

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द्वितीयक सेल किसे कहते हैं

द्वितीयक सेल किसे कहते हैं | द्वितीयक सेल के प्रकार | लेड एसिड सेल किसे कहते है | लेड एसिड सेल के दोष | निकल आयरन सेल किसे कहते है | निकेल कैडमियम सेल किसे कहते है | बैटरी चार्ज करने की विधियां | विशिष्ट गुरुत्व किसे कहते है | द्वितीयक सेल क्या है |

प्रमुख बिंदु - देखे

द्वितीयक सेल किसे कहते हैं?

वह सेल जिसमें विद्युत ऊर्जा को पहले रासायनिक क्रियाओं के रूप में एकत्रित किया जाता है और फिर रासायनिक परिवर्तनों के द्वारा पुनः विद्युत वाहक बल प्राप्त किया जाता है वह द्वितीयक सेल कहलाता है इसे बार-बार आवेशित व निरावेशित किया जा सकता है|

द्वितीयक सेल कितने प्रकार के होते है?

द्वितीयक सेल निम्न प्रकार है –

  • लेड – एसिड सेल
  • निकल – आयरन सेल
  • निकेल – कैडमियम सेल

लेड एसिड सेल किसे कहते है?

लेड एसिड सेल कठोर रबर के पात्र में बनाया जाता है इसमें धन तथा ऋण प्लेटें प्लेटो के दो समूह होते हैं धन प्लेट की संख्या ऋण प्लेट की संख्या से एक कम होती है|

  • इसमें प्लेटें शीशे से बनी होती है इनके बीच रेड-लैड (pb3o4) का पेस्ट के रूप में भरा जाता है |
  • प्लेटो को मजबूती प्रदान करने के लिए एंटीमनी का इस्तेमाल किया जाता है|
  • चार्जिंग के दौरान धनात्मक प्लेट (+Ve) लैड पर ऑक्साइड (pbo2) ऋणात्मक प्लेट (-Ve) स्पंजी लेड की हो जाती है|
  • डिस्चार्ज के दौरान दोनों प्लेटें लेट सल्फेट (pbso4) की हो जाती है और विशिष्ट गुरुत्व का मान कम हो जाता है|
  • इसका विद्युत वाहक बल (EMF) लोड सहित 2.0 वोल्ट और लोड रहित अवस्था में 2.2 वोल्ट होता है|
  • इसका आंतरिक प्रतिरोध 2 ओम होता है|
  • इसमें इलेक्ट्रोलाइट के रूप में सल्फ्यूरिक अम्ल (H2So4) का प्रयोग किया जाता है जो प्लेटो से 5-10 mm ऊपर तक भरा होता है|
  • इसमें vent plug द्वारा गैस से निष्कासित होती है एवं चार्जिंग अवस्था जांचने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है|
  • इसमें सेपरेटर छिद्र युक्त होते हैं सेपरेटर का इस्तेमाल लघु पतन को रोकने के लिए किया जाता है|

लेड एसिड सेल में कितने प्रकार के दोष होते है?

इसमें मुख्यता: चार दोष होते है –

  • सेडिमेंटेशन दोष
  • सल्फेशन दोष
  • बकलिग दोष
  • कोरोजन दोष

सेडिमेंटेशन दोष क्या होता है?

सेडिमेंटेशन दोष में सेल को चार्जिंग व डिस्चार्जिंग के समय रेड-लैड (pb3o4) की लुगदी का कुछ अंश नीचे गिरता है जिसके कारण शॉर्ट सर्किट होने की संभावना होती है इसे सेडिमेंटेशन दोष कहते है|
इस दोष को कम करने के लिए सेपरेटर का उपयोग तथा इसमें आशुद्ध जल को आवश्यकता अनुसार समय-समय पर डालना चाहिए|

सल्फेशन दोष किसे कहते है?

इसको एक सप्ताह से अधिक समय तक चार्ज नहीं किया जाता है तो रेड-लैड (pb3o4) की लुगदी कठोर होने लग जाती है और नीचे गिरने की संभावना बढ़ जाती है इसे सल्फेशन दोष कहते है|
इसके निवारण के लिए सप्ताह में एक बार फुल चार्ज एवं डिस्चार्ज कर लेना चाहिए|

बकलिंग दोष किसे कहते है?

इसे सेल को उच्च दर पर चार्जिंग एवं डिसचार्जिंग करने से प्लेटें मुड़ जाती है इसे बकलिंग दोष कहते है|
इसके निवारण के लिए इस सेल को 6 एम्पियर से अधिक की दर पर आवेशित नहीं करना चाहिए तथा 25 एंपियर से अधिक दर पर डिस्चार्ज नहीं करना चाहिए|

कोराजन दोस्त किसे कहते है?

कोरोजन दोष बैटरी के टर्मिनल ऊपर अम्ल तथा हवा की नमी के कारण ऑक्सीकरण की क्रिया हो जाती है जिसके कारण टर्मिनल के ऊपर हल्की हल्की परत जमा हो जाती है जिसके कारण धारा के प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है इसे कोराजन दोष कहा जाता है|
इसके निवारण के लिए टर्मिनल को गर्म पानी में कपड़े को भिगो के साफ कर देना चाहिए था उसके ऊपर ग्रीस की हल्की परत का लेपन कर देना चाहिए|

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लेड एसिड सेल का उपयोग कहां किया जाता है?

लेड एसिड सेल का उपयोग बैटरी के रूप में गाड़ियों, घरों में, रेलगाड़ियों आदि में उच्च दर पर विद्युत धारा प्रदान करने वाले एवं पुनरावेशित किए जा सकने वाले डीसी स्रोतों के रूप में किया जा सकता है|

निकल आयरन सेल किसे कहते है?

निकल आयरन सेल लेड एसिड सेल की तुलना में काफी बड़े आकार वाले होते हैं और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं विद्युत उपकरण में जहां पुनरावेशित प्रकार के सेल प्रयोग करने हो वहां इनका उपयोग होता है इन्हें क्षारीय सेल व एडिशन सेल भी कहा जाता है|

  • निकल आयरन सेल का विद्युत वाहक बल 1.2 से 1.5 वोल्ट तक होता है|
  • इन का आंतरिक प्रतिरोध अधिक होता है|
  • इनकी प्लेटें बहुत मजबूत होती है इस कारण इनकी आयु अधिक होती है|
  • इसमें इलेक्ट्रोलाइट के रूप में पोटैशियम हाइड्रोक्साइड (KOH) लिथियम हाइड्रोक्साइड (LiOH) का प्रयोग किया जाता है|
  • इसमें दो प्लेटें होती है धनात्मक (एनोड) प्लेट जो निकल की बनी होती है ऋणात्मक प्लेट (केथोड़) जो आयरन की बनी होती है|
  • इसमें सेडिमेंटेशन दोष के अलावा कोई दोष नहीं होता है|

निकेल कैडमियम सेल किसे कहते है?

निकेल कैडमियम सेल की सरचना निकल आयरन सेल के समान होती है अंतर केवल यह होता है की इसमें धन प्लेट निकेल की तथा ऋण प्लेट कैडमियम धातु से बनाई जाती है आयरन के स्थान पर कैडमियम धातु का प्रयोग करने का उद्देश्य सेल का आंतरिक प्रतिरोध कम करना है जिसके कारण EMF बढ़ जाता है|

  • निकल कैडमियम सेल का विद्युत वाहक बल 1.5 वोल्ट होता है|

बैटरी चार्ज करने की विधियां कौन-कौन सी है?

बैटरी चार्जिंग करने की विधियां निम्न प्रकार है-

  • स्थिर धारा विधि
  • स्थिर विभव विधि
  • ट्रिकल चार्जिंग विधि

स्थिर धारा विधि क्या है?

इसमें बैटरी के दोनों टर्मिनल पर स्रोत को संयोजित किया जाता है तथा एक परिवर्तित प्रतिरोध की सहायता से धारा के मान को कम तथा ज्यादा किया जा सकता है या स्थिर रखा जाता है|
इस विधि से चार्ज करने में अधिक समय लगता है लेकिन दक्षता बढ़ जाती है और प्रारंभ से अंतिम धारा का मान एक समान रहता है इस विधि में एक से अधिक बेट्रियो को एक साथ चार्ज करने के लिए उन्हें श्रेणी क्रम में संयोजित किया जाता है|

स्थिर वोल्टेज विधि किसे कहा जाता है?

इसमें वोल्टेज का मान एक समान रखा जाता है परंतु जैसे-जैसे बैटरी चार्ज हो जाती है धारा का मान कम हो जाता है इस विधि से एक से अधिक बैटरी को चार्ज करने के लिए समांतर क्रम में जोड़ा जाता है|

ट्रिकल चार्जिंग विधि किसे कहते है?

इस विधि का प्रयोग तब किया जाता है जब बैटरी पूर्णतया डिस्चार्ज हो जाती है इस विधि से चार्ज करने के लिए बैटरी को कुल धारा का 2 से 3 प्रतिशत धारा प्रदान की जाती है जिसके कारण प्लेटें मुडती नहीं है इस विधि से चार्ज होने में काफी समय लगता है परंतु बैटरी की दक्षता बढ़ जाती है|

रेक्टिफायर द्वारा चार्जिंग विधि- इसमें AC को DC में रेक्टिफायर के द्वारा परिवर्तित किया जाता है तथा इस विधि से मोबाइल, लैपटॉप के आदि को चार्ज किया जाता है|

विशिष्ट गुरुत्व किसे कहते है?

  • विशिष्ट गुरुत्व या अपेक्षित घनत्व बैटरी की चार्जिंग अवस्था मापने के लिए प्रयोग किया जाता है|
पूर्ण चार्ज अवस्था-1.25 से 1.85 तक
अर्द्ध चार्ज अवस्था-1.2 से 1.23 के बीच
पूर्ण डिस्चार्ज अवस्था-1.18 से कम
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  • जैसे-जैसे बैटरी चार्ज होती है बैटरी का आपेक्षिक घनत्व भी बढ़ता है |
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लेड एसिड बैटरी में चार्जिग के समय कौनसी गेस निकलती है?

लेड एसिड सेल में चार्जिग के समय हाइड्रोजन गेस उत्सर्जित होती है |

बैटरी की चार्जिंग अवस्था जांचने की विधियां?

बैटरी की चार्जिंग अवस्था जांचने की विधियां निम्न है –
1. हाइड्रोमीटर विधि
2. हाई रेट डिस्चार्ज विधि

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